Ramgarh : कुडमी को एसटी की सूची में शामिल करने की मांग का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. यह विरोध रांची से शुरू होकर अब झारखंड के विभिन्न जिलों में पहुंच गया है. इस विरोध प्रदर्शन में आदिवासी समुदाय की 32 जनजातियों के लोग शामिल हैं. हजारों की संख्या में आदिवासी बुधवार को रामगढ़ के सिदो-कान्हू मैदान में एकजुट हुए और पैदल मार्च करते हुए डीसी कार्यालय पहुंचे. डीसी ऑफिस के सामने पहुंचकर पैदल मार्च सभा में तब्दील हो गया. यहां ‘टाइगर’ (प्रतीक) को उल्टा लटकाकर विरोध किया गया.
इससे पहले खूंटी व घाटशिला में हुए विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आदिवासियों ने भाग लिया था. रामगढ़ डीसी कार्यालय के सामने प्रदर्शन में शामिल आदिवासी नेताओं ने कहा कि कुड़मी को एसटी की सूची में शामिल कभी नहीं होने देगें. क्योंकि, कुड़मी खुद को लव-कुश व शिवाजी का वंशज समझते हैं. इनकी सांस्कृति, धर्म व पर्व-त्योहार आदिवासी समुदाय से नहीं मिलते हैं. नेताओं ने कहा कि आरक्षण का लाभ लेने के लिए कुड़मी एसटी बनना चाहते हैं.
रेलटेका डहर छेका के बाद आदिवासियों ने शुरू किया विरोध
विभिन्न आदिवासी समुदाय के लोगों ने कहा कि असंवैधानिक तरीके से कुड़मी समुदाय के लोगों ने राज्य में रेलवे स्टेशनों पर रेलटेका डहर छेका आंदोलन किया था. यह आंदोलन कुड़मी को एसटी सूची में शामिल करने की मांग को लेकर किया गया था. आदिवासी समुदाय के लोगों ने बाइक रैली निकालकर इसका विरोध किया था. इसके बाद राजभवन के समक्ष धरना देकर विरोध दर्ज कराया गया.
आरक्षण का फैयदा लेने के लिए बनाना चाहते हैं आदिवासी
आंदोलन मे शामिल लोगों ने कहा कि आरक्षण का लाभ लेने के लिए कुड़मी समाज के लोग आदिवासी बनना चाहते हैं. यदि वे आदिवासी बन जाएंगे, तो आदिवासी समुदाय के बाल-बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. इस समुदाय में छुआछूत भरा हुआ है.शुरू से ही कुड़मी सम्पन्न भी हैं.
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