Ranchi : आदिवासी समाज के लोगों ने कुड़मी समाज द्वारा आदिवासी दर्जा और अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में आक्रोश मार्च निकाला. पांरपरिक वेशभूषा पहने हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग मोरहाबादी में एकजुट हुए. इसके बाद पैदल मार्च शुरू की. यह आक्रोश रैली रेडियम रोड होते हुए अल्बर्ट एक्का चौक तक जाएगी.
सभी जगह कब्जा करना चाहता है कुड़मी समाज
आदिवासी समाज का कहना है कि कुड़मी समाज एसटी सूची में शामिल होने का प्रयास कर रही है. वे आदिवासियों का हक छिनने के लिए रेल टेका आंदोलन कर रहे हैं. सामाजिक, धार्मिक, पारंपरिक और संवैधानिक सीटों पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है.
1921 की जनगणना में कुड़मी को हिंदू कॉलम में किया गया दर्ज
पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव का कहना है कि कुड़मी समुदाय की उत्पत्ति हिंदू धर्म से जुड़ी हुई है. 1921 की जनगणना में इन्हें क्षेत्रीय हिंदू कॉलम के तौर पर दर्ज किया गया था. 1931 में इन्हें खेतीहर वर्ग के रूप में भी पहचाना गया. ऐसे में उन्हें आदिवासी का दर्जा देना ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है.
टीआरआई की रिपोर्ट ने भी इनके दावे को नाकारा
2004 में आदिवासी शोध संस्थान (टीआरआई) ने अपनी जांच रिपोर्ट में कुड़मी समाज के दावे को खारिज किया था. रिपोर्ट में 92 गांवों में 43 से 75 वर्ष आयु वर्ग के लोगों से बातचीत की गई थी और सर्वसम्मति से दावा निरस्त किया गया था.
आंदोलन कर लाखों लोगों को परेशान कर रहा कुड़मी समाज
गीताश्री उंराव का कहना है कि 2022 से कुड़मी समाज ने दोबारा केंद्र सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया और रेल टेका आंदोलन छेड़ा. इसके बाद 18 सितंबर 2023 को केंद्रीय सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर रांची, घाटशिला और चाईबासा में रेल व सड़क परिचालन बाधित किया गया. इन आंदोलनों से लाखों लोग प्रभावित हुए।
इन स्थानों से पहुंचे आदिवासी समाज के लोग
कुड़मी समाज की मांग के विरोध में प्रदर्शन के लिए रातु, रामगढ़, बोकारो, हजारीबाग, गुमला, खूंटी समेत अन्य स्थानों से हजारों आदिवासी समाज के लोग पहुंचे हैं.
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