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चांद गांव में आदिवासी सरना बचाव महारैली 23 नवंबर को

  • बंडा और सोड़हा क्षेत्र में 4-5 घर ही सरना धर्मावलंबी बचे है

Ranchi : धुर्वा स्थित सेक्टर 3 में आदिवासी बचाव महारैली को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच ने संवादादाता सम्मेलन आयोजित किया. इस दौरान उप प्रमुख संदीप उरांव, मुखिया संघ अध्यक्ष सोमा उरांव, सनि टोप्पो, महिला प्रमुख अंजली लकड़ा, रैली का संयोजक मेघा उरांव, दसमाईल ग्राम प्रधान राम बांडो, विश्वकर्मा पाहन समेत अन्य लोग मौजूद थे.

 

वक्ताओं ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 23 नवंबर को राज्यभर से आदिवासी सरना बचाओ महारैली बुलाई गई है. जिसमें करीब दस हजार लोग एकजुट होंगे. मुखिया संघ अध्यक्ष सोमा उरांव ने कहा कि बीमारियों को चमत्कार बताकर धर्मांतरित किए जा रहे है.

 

चर्चों की 99 प्रतिशत जमीन आदिवासियों की भूमि है. जिसमे चर्च चलाए जा रहे है .धर्मांतरित ईसाई लोग आदिवासियों का आरक्षण लाभ भी ले रहे हैं और ईसाई पहचान का फायदा भी उठा रहे हैं. चांद गांव स्थित बंडा और सोड़हा क्षेत्र के 200 से अधिक घरो में अब केवल 4-5 गांव ही सरना धर्मावलंबी बचे हैं.

 

नामकुम प्रखंड में तेजी से बदल रहा धार्मिक परिदृश्य

जनजाति सुरक्षा मंच के उपप्रमुख संदीप उरांव ने कहा कि नामकुम प्रखंड के करीब 94 गांव है. जिसमें 34 गांव अब सरहुल नहीं मनाते.क्योंकि सभी लोगो सरना से ईसाई धर्मालंबी बन चुके है. इसके वजह से आदिवासियो के धार्मिक पूजा पाठ बंद हो चुके है. ये लोग सरहुल भी नहीं मना रहे है।


धर्मांतरण से खत्म हो रही जनजातीय व्यवस्था

जनजाति सुरक्षा मंच की मेघा उरांव ने कहा कि चंगाई सभा के जरिए हजारों लोग धर्मांतरित हो रहे हैं, जिससे संस्कृति, सभ्यता पर खतरा बढ़ गया है. आदिवासियों की रूढ़ी प्रथा की व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है. ग्राम प्रधान राम बांडो ने कहा 12 अक्टूबर को दिए गए आवेदन में बताया गया है कि पाहन की बकास्त भूईहरी जमीन पर बिना अनुमति चंगाई सभा आयोजित हो रही है.

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