Ranchi : भाकपा माले के संस्थापक महासचिव चारु मजूमदार की शहादत दिवस के अवसर पर आज रांची स्थित महेंद्र सिंह भवन में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर भाकपा माले के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनकी क्रांतिकारी विरासत को याद करते हुए शोषितों-वंचितों के हक में संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया.
सभा को संबोधित करते हुए पार्टी के राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि आज के दौर में जब संविधान, लोकतंत्र और मेहनतकशों के अधिकारों पर फासीवादी हमले तेज हो रहे हैं तब चारु मजूमदार के विचार और संघर्ष की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है.
नक्सलबाड़ी से क्रांति की चिंगारी
चारु मजूमदार ने 1960 के दशक में नक्सलबाड़ी आंदोलन के जरिए जमींदारी और सामंती शोषण के खिलाफ गरीब किसानों को संगठित किया और वर्ग संघर्ष की नींव रखी. 1972 में कोलकाता में उनकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस हिरासत में हुई उनकी मृत्यु को पार्टी राज्य प्रायोजित हत्या मानती है.
सभा में वक्ताओं ने कहा कि बिहार में SIR जैसे कदमों से गरीबों के मताधिकार को छीनने की साजिश हो रही है. दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं. वहीं झारखंड से दिल्ली और गुरुग्राम तक बंगला भाषियों को 'बांग्लादेशी' बताकर उनकी नागरिकता पर हमला किया जा रहा है.
पार्टी की केंद्रीय कमेटी के सदस्य शुभेंदु सेन ने कहा कि मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जन आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है. जनता का हित ही पार्टी का हित है - यह चारु मजूमदार की सीख आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रही है.
श्रद्धांजलि सभा में भाकपा माले राज्य सचिव मनोज भक्त, केंद्रीय कमेटी सदस्य शुभेंदु सेन, अनंत प्रताप, आर.एन.सिंह, त्रिलोकी नाथ, नंदिता भट्टाचार्य, जगरनाथ उरांव, कुमार वरुण, सुदामा खलखो, विजय कुमार, अखिलेश राज, सोहेल अंसारी सहित दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे.
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