Ranchi : मंगलवार को डॉ कामिल बुल्के पथ स्थित हॉफमैन लॉ एसोशिएट्स कार्यालय में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट), 1908 की प्रभावी होने की वर्षगांठ पर विशेष बैठक आयोजित की गई.
बैठक में वकील, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और सीएनटी एक्ट के रचयिता फादर जे.बी. हॉफमैन को श्रद्धासुमन अर्पित किए. इस दौरान वक्ताओं ने उनके योगदान को आदिवासी अधिकारों के संघर्ष को याद किए.
फादर हॉफमैन के बारे में नई पीढ़ी को जानने की जरूरत
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि फादर हॉफमैन ने छोटानागपुर के आदिवासियों की पीड़ा को नजदीक से महसूस किया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई लड़ें. आज उन्हीं के प्रयासों से वर्ष 1908 में सीएनटी एक्ट लागू हुआ.
आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगी और जमीन हस्तांतरण पर लगाम लगाए गए. इस अधिनियम को लागू करने के बाद आदिवासी समुदाय की भूमि को बचाने के लिए संविधान में विशेष प्रावधान किए गए. इसी कारण इसे छोटानागपुर में आदिवासियों का संवैधानिक कवच भी कहा जाता है.
AICUF के छात्रों ने किया माल्यार्पण, आगे बढ़ाने का लिया संकल्प
इस ऐतिहासिक अवसर पर संत जेवियर्स कॉलेज के ऑल इंडिया कैथोलिक यूनिवर्सिटी फेडरेशन (AICUF) के करीब 20 छात्रों ने भी हॉफमैन लॉ एसोशिएट्स कार्यालय पहुंचकर फादर हॉफमैन की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. उन्होंने समाज में भूमि अधिकारों की जागरूकता फैलाने और फादर हॉफमैन के अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया.
सीएनटी एक्ट: अब भी प्रासंगिक
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि आज आदिवासी भूमि पर कब्जे और नियमों के उल्लंघन के मामले बढ़ रहे हैं, तब सीएनटी एक्ट की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है. यह कानून केवल भूमि की सुरक्षा नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की अस्मिता और अस्तित्व की पहचान और रक्षा के लिए बनाए गए हैं.



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