Akshay Kumar Jha
Bokaro/Ranchi: आखिर बोकारो के चास अनुमंडल अस्पताल में पोस्टमॉर्टम करना इन दोनों डॉक्टरों को इतना क्यों पसंद है. सख्त कार्रवाई की अनुशंसा और गिरफ्तारी के बाद भी कैसे, फिर से ये वहीं पोस्टिंग पा लेते हैं. जी हां, ये इतने पावरफुल हैं कि विधायक जैसे जनप्रतिनिधि भी इनके रसूख के आगे बौने हैं. ये दोनों डॉक्टर दस साल से ज्यादा समय से एक ही जगह टिके हुए हैं. इन्हें पोस्टमॉर्टम करना इतना पसंद है कि इनका तबादला और कहीं नहीं होता है. ऐसा आरोप कई बार लगा है कि ये दोनों पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने के एवज में मुंहमांगी रकम की डिमांड करते हैं. इनके रिश्वतखोरी की कहानी बोकारो शहर के हर बुद्धीजीवी को जुबानी याद है. लेकिन इनका कुछ भी नहीं बिगड़ता. नाम है डॉ. रवि शेखर और डॉ. विकास कुमार.
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गिरफ्तारी के बाद थाना से फरार हुए और फिर से पा ली वहीं पोस्टिंग
“सुनें ऑडियो, पिता का पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने के लिए डॉक्टर ने बेटे से मांगा 75 हजार रुपये, कहा- नहीं दोगे तो लिख देंगे दारू पीने से हुई मौत” शीर्षक खबर लगातार में छपने के बाद बोकारो विधायक बिरंची नारायण से इस बाबत प्रतिक्रिया मांगी गयी. बिरंची नारायण ने जो बात इन डॉक्टरों के बारे बतायी वो चौकाने वाली है. उन्होंने साफ आरोप लगाया कि इनकी पहुंच इतनी तगड़ी है कि कोई जनप्रतिनिधि चाह कर भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. कहा कि बात 2015 की है. एक शख्स ने डॉ. रवि शेखर पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनाने के एवज में रिश्वत मांगने का आरोप लगाया. डीसी की अध्यक्षता में होने वाली जिला प्रशासन की बैठक में डॉ. रवि शेखर पर आरोप लगा कि उन्होंने रिपोर्ट देने की एवज में 15000 रुपए की डिमांड की है. बिरंची नारायण ने बैठक के दौरान ही डॉक्टर को गिरफ्तार करने की मांग तत्कालीन डीसी से की. डीसी ने गिरफ्तारी का आदेश भी दिया. पिंड्राजोड़ा थाना ने डॉ. रवि शेखर को गिरफ्तार किया. बकायदा उन्हें थाना भी लाया गया. लेकिन थोड़ी देर में ही ये खबर आती है कि डॉक्टर रवि शेखर थाना से फरार हो गए. बिरंची नारायण ने आरोप लगाया कि निश्चित रूप से डॉक्टर को फरार कराने में थाना के पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत थी. डॉ. रवि शेखर के फरार होने के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया.
लेकिन अपनी फरारी के दौरान ही उसने बेल लिया. और मंत्रालय लेवल पर सेंटिग कर ना सिर्फ अपना सस्पेंशन खत्म कराया, बल्कि कुछ दिनों के बाद दोबारा से चास अनुमंडल अस्पताल में ही पोस्टिंग पायी, जहां से उन्हें सस्पेंड किया गया था. बिरंची नारायण ने आरोप लगाया कि आज डॉ. रवि शेखर का बोकारो बाय-पास एक निजी अस्पताल चलता है. साथ ही करीब दस साल से ये चास अनुमंडल अस्पताल में ही जमे हैं. बिरंची नारायण ने बताया कि दोबारा भी रिश्वतखोरी की शिकायत मैंने एक और डीसी से की, लेकिन डॉ. रवि शेखर पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई.
कहा कि करीब 15 सालों से डॉ. विकास भी एक ही जगह जमे हुए हैं. पोस्टमॉर्टम करना इन दोनों डॉक्टरों की पहली पसंद है. कई बार इनपर रिपोर्ट देने के एवज में रिश्वत मांगने का आरोप लगा है. लेकिन ना ही विभाग की तरफ से और ना ही प्रशासन की तरफ से इनके खिलाफ कार्रवाई की गयी. बड़े ही मायूस होकर विधायक ने कहा कि इनके आगे एक जनप्रतिनिधि अपने आप को बेबस समझता है.
डॉ. विकास को सीएस ने किया शोकॉज, लीपापोती की तैयारी शुरू
एक बार फिर से चास अनुमंडल में सालों से जमे डॉक्टर विकास पर संगीन आरोप लगे हैं. लगातार ने रिश्वत मांगने का ऑडियो भी खबर के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया. खबर छपने के बाद बोकारो सिविल सर्जन की तरफ से डॉ. विकास को शोकॉज किया गया है. जाहिर है कि डॉ. विकास अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करेंगे और हमेशा की तरह इन्हें फिर से निर्दोष मान लिया जाएगा. अखबारों को दिए गए बयान में डॉ. विकास कह रहे है कि पैसे की बात मृतक के बेटे की तरफ से की जा रही है. उनकी तरफ से नहीं.
लेकिन वायरल ऑडियो में साफ है कि जब मृतक का बेटा बोल रहा है कि ‘सर सिर्फ 60,000 ही जमा हो पाया है,’ तो डॉ. विकास कह रहे हैं कि ‘फिर रहने ही दीजिए.’ वहीं सवाल यह भी उठ रहा है कि जब मृतक के बेटे ने पैसे देने की पेशकश की तो डॉ. विकास की तरफ से रिएक्ट क्यों नहीं किया गया. क्यों बार-बार पैसे की बात के बाद वो चुप्पी साध लेते थे. सवाल यह भी कि वायरल ऑडियो में कैसे डॉ. विकास कह रहे हैं कि वो रिपोर्ट में लिख देंगे कि मृतक की मौत शराब पीने से लीवर खराब होने से हुई है.
जबकि जो रिपोर्ट उन्होंने लगातार संवाददाता से बात करने के बाद बनायी है, वो हार्ट अटैक से मौत होने की पुष्टि करती है. ऐसे में जाहिर है कि डॉ. विकास को एक बार फिर से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है.
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