Ranchi : शहर में प्रशासनिक सुस्ती, भ्रष्टाचार और विभागीय लापरवाही का खामियाजा आदिवासी समाज को भुगतना पड़ा है. रांची शहर के दो आदिवासी मुहल्लों को प्रशासन ने उजाड़ दिया, जिससे दो हजार से अधिक आदिवासी बेघर होकर सड़कों पर आ गए.
हरमु बाईपास रोड और डीआईजी ग्राउंड क्षेत्र में पिछले 35 से 40 वर्षों से, दो पीढ़ियों से बसे आदिवासी परिवारों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था के हटाया गया. यह सरकारी विभागों में बैठे कर्मचारियों और पदाधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत का परिणाम है.
हरमु बाईपास रोड स्थित पत्थर कोचा इलाके में करीब 150 आदिवासी परिवार वर्षों से रह रहे थे. इनमें से लगभग 135 घरों में 845 आदिवासी लोग रहते थे. स्थानीय निवासी ज्योत्सना कच्छप ने बताया कि सभी परिवार झारखंड राज्य बनने से भी पहले से यहां रह रहे थे. बावजूद इसके, रेलवे प्रशासन ने रेलवे की जमीन बताकर, 15 दिसंबर 2024 को हजारों आदिवासियों को घर से बेदखल कर दिया.
इसी तरह बिरसा चौक कठरकोचा में प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया. जहां 150 से अधिक घरों में करीब 1000 आदिवासी परिवार रहते थे. वहीं, डीआईजी ग्राउंड में करीब दर्जनों आदिवासी परिवारों के घरो को निशाना बनाए गए.
यहां पर बड़गाई अंचल और नगर निगम की लापरवाही सामने आई है. पदाधिकारियों ने वर्षों तक आदिवासी परिवारों से हर साल उनके नाम से जमीन की रसीदें थमाई, लेकिन सच्चाई को जानबूझकर अंधेरे में रखा.
जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तब विभागीय गलती का सारा बोझ गरीब आदिवासी परिवारों पर डाल दिया गया और दर्जनों मकानों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया.
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