New Delhi : भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज सुदर्शन रेड्डी पर हमलावर है. भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉंफ्रेंस कर कहा कि विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी कह रहे हैं कि देश की आत्मा को बचाने के लिए सांसद उन्हें वोट दें.
#WATCH | Delhi | BJP MP Ravi Shankar Prasad says, "Retired Judge of the Supreme Court Sudershan Reddy is the opposition's candidate for the post of Vice-President...Sudershan Reddy has given a statement that vote for me to save the soul of the nation...He met RJD Chief Lalu… pic.twitter.com/vEodDfAOEe
— ANI (@ANI) September 8, 2025
B. Sudarshan Reddy, former Supreme Court judge and INDI Alliance’s joint candidate, recently met fodder scam convict Lalu Prasad, who isn’t even a Member of Parliament and has no vote in the VP electoral college.
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 8, 2025
This isn’t just terrible optics, it’s a shocking statement on… pic.twitter.com/IC2CMmhtoN
भाजपा सांसद ने कहा कि सुदर्शन रेड्डी ने चारा घोटाले में दोषी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की. पूछा कि आप किस तरह के सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं कि आप किसी ऐसे शख्स से मिल रहे हैं जो घोटाले में दोषी करार दिये गये है? रविशंकर प्रसाद ने इसे पाखंड करार देते हुए कहा कि आप देश की आत्मा की बात मत कीजिए.
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मंगलवार 9 सितंबर को वोटिंग होगी. चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्ण का मुकाबला इंडिया गठबंधन के बी सुदर्शन से होगा. वर्तमान में सुदर्शन रेड्डी की एक तस्वीर, जिसमें वो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साथ खड़े दिख रहे हैं, वायरल हो रही है.
इस तस्वीर को लेकर भाजपा उन पर हमलावर है. भाजपा सांसद ने प्रेस कॉंफ्रेस कर सुदर्शन रेड्डी को घेरा है. उधर भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश व इंडी गठबंधन के सुदर्शन रेड्डी ने चारा घोटाले के दोषी लालू प्रसाद से मुलाकात की है. वह संसद सदस्य भी नहीं हैं.
लालू प्रसाद उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट भी नहीं देंगे. लिखा कि एक उच्च संवैधानिक पद की आकांक्षा रखने वाले व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी पर चौंकाने वाला बयान दे रहे है. इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात है सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और संवैधानिक नैतिकता के स्वयंभू संरक्षकों ने इस पर चुप्पी साध ली है. उनका पाखंड उजागर हो गया है.
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