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विनय चौबे के साले की कंपनी की पूंजी बिना काम किये ही बढ़ती रही

Ranchi: IAS विनय चौबे के साले की कंपनी Brahmastra Education Pvt. Ltd की पूंजी बिना काम किये ही बढ़ती रही. इस कंपनी में विनय चौबे की पत्नी स्वप्ना संचिता और साला शिपिज त्रिवेदी निदेशक हैं. कंपनी ने 80 लाख रुपये के चार फ्लैट खरीदे. GST रजिस्ट्रेशन के लिए इन आवासीय भवनों को Brahmastra Education Pvt. Ltd का मुख्य व्यवसायिक केंद्र दिखाया गया है. हालांकि निगरानी जांच के दौरान कंपनी को शिक्षा के बदले Black Money को White करने के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाते हुए पाया गया.


ACB द्वारा जारी जांच के दौरान पाया गया कि इस कंपनी का गठन 2009 में किया गया. Ministry of corporate affair के दस्तावेज में कंपनी का मुख्यालय कोलकाता दर्ज है. शिपिज त्रिवेदी और स्वप्ना संचिता कंपनी के निदेशक है. 
जांच में पाया गया कि कंपनी ने 80 लाख रुपये की लागत से चार फ्लैट खरीदा है. हालांकि कंपनी के 2015-16 के बैलेंस शीट में इस संपत्ति का उल्लेख नहीं किया है. बैलेंस शीट में कंपनी के नाम पर खरीदी गयी संपत्ति का उल्लेख नहीं करना जानबूझकर इसे छिपाना है.

 

इन संपत्तियों की खरीद के लिए कंपनी ने बैंक या किसी दूसरे वित्तीय संस्थान से कर्ज नहीं लिया है. फ्लैटों की खरीद के लिए धन के स्रोत का स्पष्ट उल्लेख भी नहीं किया गया है. धन का स्रोत अस्पष्ट होने की वजह से जांच एजेंसी फ्लैट की खरीद में काले धन के इस्तेमाल के रूप में देख रही है.

 

कंपनी के निदेशकों ने व्यावसायिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए GST रजिस्ट्रेशन में इन्हीं फ्लैटों के मुख्य व्यावसायिक कार्यालय बताया है. जांच के दौरान ACB को कंपनी के इस मुख्य कार्यालय में कोई कर्चारी नहीं मिला. साथ ही कंपनी को शिक्षा से जुड़ी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं पाया.

 

कंपनी के बैलेंस शीट की जांच के दौरान Black Money को White करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जाने के सबूत मिले हैं. बैलेंस शीट की जांच के दौरान पाया गया कि वर्ष 2018 के बाद से कंपनी की आमदनी नगन्य पायी गयी. 

 

2017-2023 की अवधि में संदेहास्पद वित्तीय लेनदेन के ब्योरे मिले. इस अवधि में शॉट-टर्म एडवांस दिया गया है. लेकिन शॉट-टर्म एडवांस किसे दिया गया है, इससे संबंधित कोई ब्योरा दर्ज नहीं पाया गया है. इससे यह संकेत मिलता है कि Black Money को White money साबित करने के लिए फर्जी लेनदेन के आंकड़े तैयार किये गये हैं. 

 

कंपनी की आमदनी नगन्य होने के बावजूद जमा धन (Reserve) में वृद्धि पायी गयी. किसी कंपनी की आमदनी नगन्य होने के बावजूद उसके रिजर्व में बढ़ोत्ती अव्यवहारिक है. यह इस बात का संकेत है कि कंपनी में बाहरी स्रोत से पैसा डाल कर उसे जायज पैसा साबित करने की कोशिश की गयी है.

 

2015-17 के बीच कंपनी के खाते में Current Investment के रूप में बड़ी राशि होने का उल्लेख किया गया है. हालांकि कुछ समय बाद ही यह रकम कंपनी के खाते से गायब हो गयी. इसे किस काम में खर्च किया गया, इसका कोई उल्लेख कंपनी को अकाउंट में नहीं पाया गया. 

 

वर्ष 2017 के बाद कंपनी की आमदन में तेजी के गिरवाट दर्ज की गयी. लेकिन नकद प्राप्तियां ज्यादा रहीं. यह बगैर किसी व्यापारिक गतिविधि के ही पैसों के लेनदेन की संकेत हैं. ACB ने कंपनी के खातों में पायी गयी, इस अनियमितता को मनी लॉन्ड्रिंग माना है. साथ ही इस दिशा में जांच कर रही है.

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