Ranchi : आज रांची की सड़कों पर कुछ अलग ही नज़ारा था. रंग-बिरंगे कपड़े, हाथों में पोस्टर और चेहरे पर आत्मविश्वास लिये ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने Vendor Market से लेकर अलबर्ट एक्का चौक तक Pride March निकाला. ये मार्च सिर्फ रंगों का नहीं, हक़ और इज्जत की लड़ाई का प्रतीक था.
Pride March के पहले प्रेस क्लब में एक सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम हुआ, जहां ट्रांसजेंडर समुदाय ने खुलकर अपने दिल की बात कही. कार्यक्रम का आयोजन उत्थान संस्था ने किया था, जिसमें सीनी और रिनपास का भी सहयोग रहा.
वक्ताओं ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी जरूरत है रोटी, कपड़ा और मकान. सरकार ने 2% आरक्षण देने की बात तो की थी, लेकिन आज तक यह सिर्फ कागजों पर ही है. वेलफेयर बोर्ड की भी बात हुई थी, पर वो भी अधूरी रह गयी.
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने नाराज़गी जताई कि समाज कल्याण विभाग की कई योजनाएं बस नाम की हैं. जो अफसर बैठे हैं, वो बस अपनी जेब भर रहे हैं. हमें सम्मान चाहिए, सहानुभूति नहीं.
कार्यक्रम में गरिमा गृह योजना की भी चर्चा हुई, जिसे समुदाय से जुड़े संगठन को देने की बात कही गयी थी. लेकिन किसी और को दे दी गयी. एक ट्रांसजेंडर सदस्य ने भावुक होकर कहा, जब अपने मां-बाप ने साथ छोड़ दिया, तो ये NGO वाले कौन होते हैं हमारा नाम बेचने वाले?
उन्होंने ये भी कहा कि झारखंड एड्स कंट्रोल की तरफ से जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उससे भी उनका कोई भला नहीं हो रहा है. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से गुजारिश की कि वे खुद जांच करें कि असल में हमारे लिए क्या किया जा रहा है.
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने कार्यक्रम के माध्यम से संदेश दिया कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे. हमें भी समाज में बराबरी चाहिए, नौकरी चाहिए, घर चाहिए, इज्जत चाहिए.