Ranchi : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने सारंडा सेंक्चुअरी को लेकर अपनी बात रखी है. सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की कंडिका 26ए के अनुसार राज्य सरकार द्वारा नेशनल बोर्ड की सहमति से सैंक्चुअरी की बाउंड्री बदली जा सकती है. फिर सारंडा सैंक्चुअरी पर सरकार को इतनी परेशानी क्यों?
राज्य सरकार विभागों से पूछे अब तक क्या किया
झारखंड सरकार वन, उद्योग, खान विभागों से पूछे कि उन्होंने लौह अयस्क खनन के लिए अब तक क्या किया है? मैनेजमेंट प्लान फॉर सस्टेनेबल माइनिंग के अनुसार सारंडा वन क्षेत्र की चल रही और बंद पड़ी सभी लौह अयस्क खदानें प्रस्तावित सारंडा सैंक्चुअरी (वन्यजीव अभयारण्य) क्षेत्र से बाहर हैं. फिर सैंक्चुअरी बनाने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सरकारी राजस्व हानि का हाय-तौबा क्यों और किसलिए?
सेल भी पहुंची है सुप्रीम कोर्ट
सरयू राय ने अपने पोस्ट में कहा है कि भारत सरकार की नवरत्न कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) भी सारंडा सैंक्चुअरी के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. इसने सारंडा को मनमाना खनन से बर्बाद कर दिया है. कोयना नदी का पानी लाल कर दिया है. लाखों टन फाईन लौह अयस्क का पहाड़ खड़ा किया है. इनके 80% लीज क्षेत्र में खनन बाकी है.
सरयू राय ने क्या कहा है
• सरकार को सारंडा के संबंध में स्पष्ट प्रतिवेदन जनता के सामने रखना चाहिए और वन, खान, उद्योग और वित्त विभागों के बीच व्याप्त विरोधाभास को दूर करना चाहिए.
• सारंडा में लौह अयस्क का खनन 1909 से हो रहा है, लेकिन सरकार ने अभी तक वन संरक्षण और खनन गतिविधियों के बारे में स्पष्ट नीति नहीं बनाई है.
• सारंडा सघन वन क्षेत्र में मौजूद साल के पेड़ का महत्व स्टील से कम नहीं है और सरकार को वन संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए.
• सरकार को सारंडा में सस्टेनेबल माइनिंग के लिए माइनिंग प्लान बनानेवालों की अनुशंसा पर अध्ययन करना चाहिए और स्पष्ट रुख अख्तियार करना चाहिए.
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