Search

छठ में आओगे क्या? — मां, मोहब्बत और मातृभूमि का अंतर्द्वंद्व

लेखक: डॉ. डुमरेंद्र राजन (राजन पंडित नाम से पुस्तक)

सहायक प्राध्यापक अध्यापक कोल्हान विश्वविद्यालय

प्रकाशक : अस्तित्व प्रकाशन, बिलासपुर

 

सहायक प्राध्यापक डॉ. डुमरेंद्र राजन की नई पुस्तक “छठ में आओगे क्या?” केवल एक उपन्यास नहीं, बल्कि भावनाओं, स्मृतियों और देशप्रेम का संगम है.कहानी एक शोध छात्र की है जो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के हॉस्टल में अपनी लेमन टी, घाटों की गंगा और एक अनकही प्रेम कहानी के बीच जीता है.

 

 

लेकिन उसके जीवन की परतों में छिपा है एक खुफ़िया मिशन, जहां वह देश की सीमाओं और संस्कृति दोनों की रक्षा करता है.उपन्यास का हृदय छठ पूजा की स्मृतियां हैं, जहां नहाए खाए का कद्दू, खरना की खीर और ठेकुआ की सुगंध हर घर में आस्था और पवित्रता का प्रतीक बन जाती है.

 

यह वही छठ है जो गांव की मांओं के व्रत, बच्चों के इंतज़ार और घरों की दीपमालाओं में आज भी जीवित है.कहानी में प्रेम, अध्यात्म और देशभक्ति का ऐसा सुंदर संगम है, जो पाठकों को अपने बचपन की मिट्टी और घाटों की गंध तक पहुंचा देता है.

 

दूसरे भाग में नायक का संघर्ष उत्तर–पूर्व को बचाने के मिशन जुड़ता है-जहां देशभक्ति, पर्यावरण चेतना और आत्मबलिदान का अद्भुत ताना-बाना बुनता है छठ में आओगे क्या  आज की पीढ़ी को यह याद दिलाती है कि छठ सिर्फ़ एक व्रत नहीं, बल्कि मिट्टी, मां और मोहब्बत का उत्सव है- जहां हर दीपक में भाव है, हर ठेकुआ में संस्कार और हर घाट पर किसी का इंतज़ार.यह किताब ऑनलाइन वभी उपलब्ध है, जिसे खरीदा जा सकता है. यह किताब बिहार और पूर्वांचल के युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय हो रही है

 

 

 

Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp