Ranchi : झारखंड की राजधानी रांची में स्थित GEL चर्च (Gossner Evangelical Lutheran Church) न केवल राज्य का सबसे बड़ा चर्च माना जाता है, बल्कि इसे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी देखा जाता है. महात्मा गांधी रोड (मेन रोड) के समीप स्थित यह चर्च अपनी स्थापत्य कला, ऐतिहासिक घटनाओं और धरोहरों के लिए प्रसिद्ध माना जाता है.
यह चर्च 1851 में बनना शुरू हुआ था और 24 दिसंबर 1855 को यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया. उस समय ये चर्च इसे कुल 13,000 रुपये की लागत बनाया गया था, जिसे जर्मनी के एक धर्मप्रेमी परोपकारी जोहानेस इवांजेलिस्ता गॉस्नर ने दिया था. उन्हीं के नाम पर इस चर्च का नाम GEL रखा गया.
1857 के विद्रोह से जुड़ी है खास यादें
1857 की क्रांति के दौरान इस चर्च को भी विद्रोहियों के आक्रोश का सामना करना पड़ा था. विद्रोहियों द्वारा इस पर तोप दागी गई थी और आज भी उस समय का तोप का गोला चर्च की दीवार में फंसा हुआ है, जो इस ऐतिहासिक घटना की निशानी बना हुआ है.
इस चर्च में कई ऐसी प्राचीन वस्तुएं हैं जो इसे विशेष बनाती हैं
कई साल पुराना पाइप ऑर्गन : यह दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्र जर्मनी से मंगवाया गया था और आज भी यह कार्यरत है. इसकी मधुर ध्वनि चर्च के माहौल को आध्यात्मिक बनाती है.
1860 की जर्मन घंटी : यह घंटी भी जर्मनी से लाई गई थी, जो अब दरार आने के कारण केवल प्रदर्शनी के लिए रखी गई है.
178 साल पुराने लकड़ी के बेंच : ये बेंच आज भी उतने ही मजबूत हैं जितने कि पहले थे, और दर्शाते हैं उस समय की निर्माण गुणवत्ता.
रस्सी से चलने वाला पंखा : पुराने समय में इस्तेमाल होने वाला यह पंखा आज भी चर्च में मौजूद है और इसकी ऐतिहासिकता को दर्शाता है.
विशालता और आस्था का प्रतीक
GEL चर्च में एक साथ लगभग 600 लोग बैठ सकते हैं, जो इसे रांची के सबसे बड़े चर्चों में से एक बनाता है. क्रिसमस, ईस्टर और अन्य धार्मिक आयोजनों पर यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालू एकत्र होते हैं. यह चर्च न केवल ईसाई समुदाय के लिए एक पूजास्थल है, बल्कि झारखंड की विरासत और इतिहास को सहेजने वाला एक जीवित स्मारक भी है.
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