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विजन 2030 में धनबाद रेल मंडल की अनदेखी पर बढ़ा विरोध, झारखंड रेल यूजर एसोसिएशन ने उठाए सवाल

  • रेलवे की विजन 2030 में धनबाद रेल मंडल की अनदेखी
  • कमाऊ रेल मंडल होने के बावजूद मेगा टर्मिनल सूची से बाहर

Dhanbad :   भारतीय रेलवे की विजन 2030 योजना में झारखंड के धनबाद डिवीजन को अनदेखी करने पर नाराजगी बढ़ती जा रही है. झारखंड रेल यूजर एसोसिएशन ने रेल मंत्रालय और पूर्व मध्य रेलवे (ECR) पर धनबाद डिवीजन को अनदेखी करने का आरोप लगाया है. संगठन का कहना है कि देश के 48 प्रमुख शहरों में ट्रेन परिचालन क्षमता दोगुनी करने और मेगा टर्मिनल विकसित करने की योजना में धनबाद जैसे बड़े और कमाऊ स्टेशन को जानबूझकर बाहर रखा गया है. 

 

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जानबूझकर धनबाद को नहीं चुना गया 

एसोसिएशन का कहना है कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें पूर्व मध्य रेलवे के पटना, गया, मुजफ्फरपुर और पंडित दीन दयाल उपाध्याय (DDU) जंक्शन को मेगा टर्मिनल और क्षमता विस्तार के लिए चुना गया. लेकिन धनबाद का नाम इस सूची में शामिल नहीं है. इसको लेकर स्थानीय यात्रियों और रेल यूजर संगठनों में भारी असंतोष और नाराजगी है.

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एसोसिएशन ने आंकड़ें जारी कर उठाए सवाल

झारखंड रेल यूजर एसोसिएशन ने अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक के आंकड़े जारी कर रेलवे के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. संगठन के अनुसार, इस अवधि में धनबाद रेल मंडल ने कुल 14,035.62 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया. माल ढुलाई के तहत 106.76 मिलियन टन माल का परिवहन किया गया, जिसमें मुख्य रूप से कोयला शामिल है.

 

वहीं यात्री आय 318.91 करोड़ रुपये रही और इस अवधि में करीब 168.50 लाख यात्रियों ने इस मंडल से सफर किया.  यह डिवीजन झारखंड के साथ-साथ बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बड़े हिस्सों को कवर करता है. 

 

उनका कहना है कि धनबाद रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म की कमी, नई ट्रेनों का अभाव, वॉशिंग पिट और बुनियादी यात्री सुविधाओं का विस्तार वर्षों से लंबित है. लेकिन रेलवे इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. धनबाद का इस्तेमाल सिर्फ कोयला और माल ढुलाई के जरिये कमाई के लिए किया जा रहा है. 

 

एसोसिएशन की तीन प्रमुख मांगें 

  • - धनबाद को तत्काल मेगा टर्मिनल और क्षमता विस्तार वाली 50 शहरों की सूची में शामिल किया जाए.
  • - माल ढुलाई के साथ-साथ यात्री सुविधाओं का भी विस्तार किया जाए, नए प्लेटफॉर्म और नई ट्रेनों की शुरुआत हो.
  • - पूर्व मध्य रेलवे (हाजीपुर मुख्यालय) यह स्पष्ट करे कि धनबाद को इस योजना से बाहर क्यों रखा गया.

 

जब तक हक नहीं मिलेगा, विरोध जारी रहेगा

रेलवे एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि जब तक धनबाद को उसका हक नहीं मिलेगा, तब तक आंदोलन और विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.  साथ ही रेल मंत्रालय से सवाल किया गया है कि क्या धनबाद सिर्फ कोयला लोडिंग के लिए है. पूछा कि यात्रियों की सुविधाओं की जिम्मेदारी रेलवे कब लेगा. 

 

बताते चलें कि रेलवे की विजन 2030 योजना में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, पटना, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, जयपुर, भोपाल, रांची, टाटानगर, रायपुर, भागलपुर, मुजफ्फरपुर और गया जैसे कई शहरों को शामिल किया गया है, लेकिन धनबाद को इस योजना से बाहर रखा गया है, जिससे विवाद गहरा गया है. 

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