Ranchi : रांची की सिटी बस सेवा लगातार अव्यवस्था की ओर बढ़ रही है. 2011 में शुरू हुई इस सेवा को 14 साल हो गए हैं. ऐसे में बीतें सालों में बसों का सिर्फ रंग ही बदला जाता है,अभी इसे ब्लू किया गया है, लेकिन बसों की वास्तविक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. अधिकांश बसें बदहाल हैं, सीटें टूटी हुई हैं, कई बसों से काला धुआं निकलता है और ओवरलोडिंग आम बात बन गई है.

शहर में कुल 96 सिटी बसें रजिस्टर्ड हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 26 बसें सड़क पर चल रही हैं. इनमें से भी कई बसें अनफिट स्थिति में हैं. शुरुआत में 70 बसें खरीदी गई थीं और 2017 में 26 और बसें जोड़ी गईं, लेकिन अब सक्रिय बसों की संख्या घटकर आधी से भी कम रह गई है.
बसों की कमी के कारण ओवरलोडिंग बढ़ गई है, यात्री बस के गेट पर लटककर सफर करने को मजबूर हैं, जो गंभीर हादसों की आशंका बढ़ाता है.
बस स्टाफ का कहना है कि एक बस रोजाना करीब 3200 रुपये की कमाई करती है, जिससे ऑपरेटरों को अच्छा लाभ मिलता है, लेकिन नियमित मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं दिया जाता. उनका कहना है कि बसों को केवल सड़क पर दौड़ाना ही पर्याप्त नहीं है सुरक्षा और रखरखाव पर भी ध्यान देना जरूरी है.
इधर लोगों का कहना है की रांची जैसे बढ़ते शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था कमजोर पड़ने से आने वाले वर्षों में ट्रैफिक सिस्टम पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. यदि बसों की संख्या और स्थिति में सुधार नहीं किया गया तो आने वाले समय में शहर में ट्रैफिक जाम 40–50% तक बढ़ सकता है और यात्रा समय लगभग दोगुना हो सकता है.
इससे ये साफ पता चलता है कि बसों की कमी का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है. लोगों को मजबूरन महंगे ऑटो और टोटो जैसे विकल्पों पर निर्भर होना पड़ रहा है. लगातार बिगड़ती व्यवस्था से शहर की यातायात व्यवस्था और यात्रियों की सुरक्षा दोनों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
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