Lagatar Desk : रामगढ़ के केके कोलियरी निवासी राजेश राम का आपराधिक इतिहास है, वह वांटेड था, उसने जो पत्र लगातार मीडिया को भेजा है, उसमें स्वीकार किया है कि वह डीजीपी के कार्यालय में जाता था, वह जेल गया और जमानत पर छूटने के बाद उसने लीगल नोटिस भेजा है.
लगातार मीडिया ने राजेश राम के संदर्भ में पिछले महीने खबरें प्रकाशित (खबरों का लिंक नीचे दिया गया है) की थी. जिसके बाद रामगढ़ पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. इससे पहले भी रामगढ़ पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था.
अदालत से वह जमानत पर छूटा था. लगातार मीडिया अपनी खबरों पर कायम है और लीगल नोटिस का कानूनी जवाब दिया जायेगा. राजेश राम ने 50 लाख रुपये की मानहानी का दावा किया है.
लीगल नोटिस से पहले राजेश राम ने लगातार मीडिया को एक पत्र लिखा था. पत्र ई-मेल के जरिये प्राप्त हुआ था. उस पत्र में उसने यह स्वीकार किया था कि वह झारखंड पुलिस के डीजीपी के कार्यालय में आता-जाता था.
इसके लिए उसने यह तर्क दिया है कि उसके खिलाफ दर्ज मामले कथित तौर पर फर्जी हैं, उन मामलों में न्याय पाने के लिए वह डीजीपी के कार्यालय जाता था. यह उसका संवैधानिक अधिकार है.
सही बात है, पर बड़ा सवाल यह है कि क्या आपराधिक मामले में वांटेड व्यक्ति डीजीपी के कार्यालय में लगातार आ-जा सकता है? क्या वह पुलिस मुख्यालय में तैनात अधिकारियों व पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सकता है?
लगातार मीडिया के पास वह पत्र उपलब्ध है, जिसमें इस बात का उल्लेख है कि ओडिशा के एक कारोबारी को पुलिस मुख्यालय में लाया गया. एक सीनियर अधिकारी से मुलाकात कराया गया. फिर एक ट्रांसपोर्टर के खाते में 65 लाख रुपया ट्रांसफर कराया गया.
यह रकम कोयला कारोबार के लिए लिया गया था. कारोबार नहीं करा पाने की स्थिति में ओड़िशा के व्यापारी ने एक पत्र लिखा. जिसके बाद उसे पैसा वापस किया गया. आखिर किस हैसियत से राजेश राम ने एक कारोबारी को पुलिस मुख्यालय में बुलाया? उसके साथ मुख्यालय के कौन-कौन अधिकारी-पदाधिकारी सहयोगी की भूमिका में हैं?
राजेश राम ने जो पत्र लिखा था, उसमें उसने यह कहा है कि वह एससी जाति से है. इसी कारण खबरें प्रकाशित की गईं. उसने धमकी दी थी कि वह एससी-एसटी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करायेगा. जबकि तमाम ऐसे तथ्य हैं, जिससे यह पता चलता है कि उसका आपराधिक इतिहास है और वह वांटेड था.
उसके खिलाफ हाल तक दो-दो वारंट लंबित थे. इस बात के भी तथ्य हैं कि वह पुलिस मुख्यालय में आता-जाता था. गिरफ्तार होने और जेल से निकलने के बाद पुलिस मुख्यालय जाना बंद हो गया है.
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