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प्रतुल शाहदेव का आरोप, हेमंत सरकार ने हाईकोर्ट की सुरक्षा से किया समझौता, लगातार डॉट इन की खबरों का दिया हवाला

Ranchi :  झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य की सर्वोच्च न्यायिक संस्था झारखंड हाईकोर्ट की सुरक्षा के साथ समझौता किया है, जो बेहद चिंताजनक है.  वे मंगलवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ उपकरणों की विफलता का नहीं, बल्कि संविधानिक संस्था की गरिमा और सुरक्षा पर सीधा हमला है. प्रतुल शाहदेव ने  लगातार डॉट इन में इस घोटाले से संबंधित छपी खबरों का हवाला दिया.  

 

बता दें कि लगातार डॉट इन ने झारखंड पुलिस मुख्यालय द्वारा सुरक्षा उपकरणों की खरीद में किये गये भ्रष्टाचार को उजागर किया था. सुरक्षा उपकरणों की खरीदारी में किये गये घोटाले को लगातार डॉट इन ने सात सीरिज में प्रमुखता से प्रकाशित किया था. पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें...

 

सुरक्षा के लिए खरीदे गए उपकरण सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते 

प्रतुल शाहदेव ने दावा किया कि जून 2024 में पुलिस स्पेशल ब्रांच की हाई पावर कमेटी (जिसकी अध्यक्षता डीआईजी स्पेशल ब्रांच ने की थी) ने एक रिपोर्ट और ऑडिट तैयार किया था. इस रिपोर्ट में हाईकोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर खामियां उजागर हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट परिसर की सुरक्षा के लिए खरीदे गए अंडर व्हीकल सर्च मिरर, डीप सर्च माइन डिटेक्टर और एक्सप्लोसिव वेपर डिटेक्टर जैसे उपकरण सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे. 

 

हाईकोर्ट की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही सरकार

भाजपा प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि ये सभी उपकरण बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के खरीदे गए और जब इनकी जांच हुई तो अधिकांश उपकरण असमर्थ और अनुपयोगी पाए गए.  यह रिपोर्ट साफ दर्शाती है कि हेमंत सरकार कहीं न कहीं हाईकोर्ट की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है, जिसमें अभी तक कोई सुधार नहीं आया है.

 

निष्पक्ष जांच कर दोषी अधिकारियों व  एजेंसियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग

प्रतुल शाहदेन ने सरकार से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोषी अधिकारियों व संबंधित एजेंसियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट जैसी सर्वोच्च न्यायिक संस्था की सुरक्षा में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए. यह केवल तकनीकी विफलता नहीं है, बल्कि राज्य की न्यायिक व्यवस्था की सुरक्षा और सम्मान पर सीधा आघात है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की बनती है.