Akshay Kumar Jha
Ranchi: मंत्री पद के मोह की वजह से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की हर मामले में चुप्पी सरकार को महंगी पड़ सकती है. महगामा विधायक दीपिका पांडे सिंह पर दो-दो मामले दर्ज हो गए. बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद पर भी मामला दर्ज हुआ. लेकिन पार्टी की तरफ से ना तो प्रदेश अध्यक्ष और ना ही पार्टी का कोई वरिष्ठ पदाधिकारी कुछ बोल सका. कांग्रेस के कुछ लोगों का कहना है कि पार्टी में दूसरा कोई कुछ बोले कैसे, जब पार्टी का अध्यक्ष ही अपनी कुर्सी की वजह से हर मामले पर चुप्पी साध लेता हो.
पार्टी के विश्वासपात्र सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के विधायकों में इस बात का काफी आक्रोश है. जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है. पार्टी के कद्दावर लोगों का कहना है कि पार्टी के विधायकों पर सरकार की तरफ से मामला दर्ज होने के वक्त विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष से गुहार तक लगायी. अपने पक्ष में खड़े होने को कहा. फिर भी रामेश्वर उरांव ने हेमंत सरकार के खिलाफ ना ही बयान दिया और ना ही गुप्त तरीके से अपनी नाराजगी सरकार को बताने की कोशिश की.
आला कमान तक संदेश पहुंचाने को हो रहे एकजुट
नाम नहीं बताने की शर्त पर कांग्रेस के आला पदाधिकारी ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष और सरकार के रवैये से अब गठबंधन में शामिल कांग्रेस विधायक एकजुट हो रहे हैं. ऐसी स्थिति बन गयी है जैसे झारखंड कांग्रेस में संगठन नाम की कोई चीज ही नहीं बच गयी हो. एक राष्ट्रीय पार्टी का प्रदेश अध्य़क्ष होते हुए भी मंत्री पद ना गवां देने का डर पार्टी पर भारी पड़ रहा है. प्रदेश अध्यक्ष अपने विधायकों के लिए भी खड़े नहीं हो रहे. ऐसे में पार्टी के कुछ आला पदाधिकारी और विधायक शीर्ष नेता तक संदेश पहुंचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं. कांग्रेस में साफ तौर से देखा जा रहा है कि इरफान अंसारी, दीपिका पांडे सिंह,. अंबा प्रसाद, उमाशंकर अकेला, ममता कुमारी और भूषण बाड़ा जैसे विधायक सरकार की वजह से अपनी पार्टी से नाराज हैं. पार्टी में मजबूत पकड़ रखने वाले एक पदाधिकारी ने कहा कि पहले तो पार्टी के प्रदेश प्रभारी से इस मामले को लेकर शिकायत की जाएगी. हर बार की तरह अगर इस बार भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो प्रदेश में पार्टी का वजूद खतरे में पड़ जाएगा.
विधायकों पर हो सकता है एफआईआर, लेकिन विधायक प्रतिनिधि पर नहीं
पार्टी के कुछ विधायक संथाल में हो रही गतिविधियों से काफी नाराज चल रहे हैं. उनका कहना है कि गंठबंधन सरकार में कांग्रेस पार्टी क्या सिर्फ संख्या बल पूरा करने के लिए है. कांग्रेस के विधायकों पर राज्य सरकार की पुलिस कार्रवाई कर देती है. लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पर कई आरोपों के बाद भी मामला दर्ज नहीं होता है. जबकि संथाल में पत्थर, बालू और कोयले का अवैध कारोबार अब किसी से छिपा नहीं है. सिर्फ विधायक प्रतिनिधि होते हुए पंकज मिश्रा विधायकों से ज्यादा पावरफुल हैं. ऐसे में चुप नहीं रहा जा सकता. पार्टी के शीर्ष नेताओं तक बात पहुंचनी ही चाहिए.
वहीं पार्टी के एक बड़े पदाधिकारी का कहना है कि गठबंधन में शामिल पार्टी का एक काम सरकार को गलत करने से रोकना भी होता है. लेकिन संथाल में सरकार पर अंकुश लगाने के लिए कांग्रेस में आगे आने से सभी डर रह हैं, जो पार्टी और सरकार दोनों के लिए महंगा पड़ सकता है.