Ranchi: शिक्षा मानव जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय लेकिन शायद सरकारों के लिए कम महत्व का विषय. तभी तो रांची विश्वविद्यालय में शिक्षा की अलख जलाने वाले शिक्षकों का भुगतान सालो साल तक नहीं होता है. विश्वविद्यालय के अनुबंधित प्रोफेसर पिछले साल लॉकडाउन से ही मानदेय का इंतज़ार कर रहे है, वही द्वितीय पाली अतिथि शिक्षकों को दो साल से वेतन नहीं मिला है. ऐसे में यह सोचा जा सकता है कि ऐसे में शिक्षक किन परिस्थितियों में पठन पाठन का काम करते है.
झारखंड अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.निरंजन महतो ने कहा कि रांची विश्वविद्यालय में कार्यरत अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसरों का पिछले लॉकडाउन के समय से लेकर वर्तमान समय तक का मानदेय का भुगतान यथाशीघ्र नहीं किया गया, तो हमलोग परीक्षा संबंधित और एडमिशन संबंधित कार्य करना छोड़ देंगे. हमलोगों की नियुक्ति शैक्षणिक कार्यों के लिए किया गया है. मानदेय नहीं मिलने के कारण अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर आर्थिक तंगहाली की दौर से गुजर रहे हैं और लॉक डाउन के कारण स्थिति काफी दयनीय हो गई है.
कई विषयों का संचालन अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर के भरोसे
अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा संबंधी कार्य छोड़ देंगे तो अधिकांश महाविद्यालयों का रिजल्ट रुक जायेगा. रांची विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों के कई विषयों का संचालन अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर के भरोसे चल रहा. कई विषयों में एक भी परमानेंट शिक्षक नहीं है.
काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है
रांची विश्वविद्यालय इकाई की अध्यक्ष डॉ. संगीता कुजूर ने कहा कि अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसरों को एक निश्चित मासिक मानदेय मिलना चाहिए. विश्वविद्यालय में सी.बी.सी.एस. प्रणाली लागू है जिसके कारण अधिकांश समय परीक्षा संचालन में व्यतीत हो जाता है. निश्चित मासिक मानदेय नहीं मिलने के कारण काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
विश्वविद्यालय प्रशासन मानदेय की भुगतान करने में टालमटोल कर रही
रांची विश्वविद्यालय इकाई की सचिव डॉ. जैनेन्द्र कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष लॉकडाउन के समय से अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसरों ने रेडियो खाँची और अन्य ऑनलाइन माध्यमों से कक्षाएं लेने का काम किया है. इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन मानदेय की भुगतान करने में टालमटोल कर रही है.
दूसरे से पैसा मांगकर मोबाइल खरीदकर क्लास ले रहे
रांची विश्वविद्यालय इकाई की कोषाध्यक्ष डॉ. संजु कुमारी ने कहा की अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसरों को ऑनलाइन क्लास लेने के लिए किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं दी गई है. हमलोगों अपने पैसे से मोबाईल रिचार्ज करते है. कुछ शिक्षकों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं था उनलोगों ने दूसरे से पैसा मांगकर मोबाइल खरीदकर क्लास ले रहे हैं.
जीविकोपार्जन के लिए अंडा, चाऊमीन, झाल मुढ़ी बेचते है
साविएल लकड़ा रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत कार्तिक उरांव कॉलेज में इतिहास विषय के अतिथि शिक्षक है, प्रतिदिन ऑनलाइन एमए और बीए का क्लास लेते है. 21 माह से कोई भुगतान नहीं हुआ तो क्लास लेने के बाद जीविकोपार्जन के लिए अंडा, चाऊमीन, झाल मुढ़ी बेचते है. नियुक्ति 2016 में हुई लेकिन 2019 से विश्वविद्यालय की ओर से भुगतान नहीं हुआ है.
राज्य गठन के बाद सिर्फ 2008 में ही हुई है स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति
बिहार से अलग झारखंड गठन के बाद सिर्फ एक बार 2008 में ही विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति हुई है. साल दर साल स्थाई शिक्षकों के रिटायरमेंट के साथ पढ़ाई का पूरा जिम्मा अनुबंधित शिक्षकों और अतिथि शिक्षकों के ही भरोसे है, अगर उन्हें ही समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है तो विश्वविद्यालय में शिक्षा व्यवस्था की क्या स्थिति है, समझी जा सकती है.