राज्य गठन के बाद विकास से जुड़ी विभिन्न प्रकार की योजनाओं को बनाने और उसे क्रियान्वित करने के लिए वर्क्स डिपार्टमेंट में ऊंचे पदों पर इंजीनियरों की कमी महसूस की गयी. इस कमी को पूरा करने के लिए नियुक्ति और प्रोन्नति के बदले अतिरिक्त प्रभार का फार्मूला अपनाया गया. इसके तहत इंजीनियरों को अपने ही वेतन-मान में ऊपर के पदों का अतिरिक्त प्रभार दिया जाने लगा. यानी जूनियर इंजीनियर से असिस्टेंट इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर से एक्जिक्यूटिव इंजीनियर, चीफ इंजीनियर से इंजीनियर इन चीफ का काम दिया जाने लगा.
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