भारतीय साहित्य के महाकुंभ में झारखंडी जनजातीय भाषाओं को मिली जगह : डॉ. संघमित्रा
साहित्य के महाकुंभ में झारखंडी जनजातीय भाषाओं के रचनाकारों को जगह मिली है. इस महाकुंभ में मुकुंद रविदास, नेत लाल यादव, प्रेमचंद उरांव और महादेव डुंगरियार शामिल होंगे. रांची की प्रसिद्ध कवयित्री सह अनुवादक डॉक्टर संघमित्रा रायगुरु की वजह से संभव हुआ है. वह परिचय लिट्रेचर फेस्टिवल की एक्जीक्यूटिव कमेटी की सदस्य हैं.
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