मौत के सन्नाटे में गूंजती इंसानियत की आवाज- यही है ‘मुक्ति’
कहते हैं कि मृत्यु के बाद हर इंसान सम्मान का हकदार होता है. लेकिन कई बार जिन लाशों को कोई अपना कहने वाला नहीं मिलता, वे गुमनामी में सड़ जाती हैं. ऐसे ही भूले-बिसरे शवों को सम्मान देने का काम कर रही है रांची की सामाजिक संस्था (मुक्ति). इस संस्था के नेतृत्वकर्ता व्यवसायी व समाजसेवी प्रवीण लोहिया हैं, जिन्हें लोग मुक्तिदाता भी कहने लगे हैं.
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