Girirsh Malviya
उत्तर प्रदेश भाजपा में एक बड़ी फॉल्ट लाइन अब प्रत्यक्ष दिखने लगी है. कल यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का जन्मदिन था. लेकिन ट्विटर पर न अमित शाह का कोई बधाई संदेश आया और न प्रधानमंत्री मोदी का. जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दोनों ने ही सुबह में ही ट्विटर पर यूपी सीएम को बधाई दे चुके थे. ऐसे में पार्टी आलाकमान में ही अपने एक नेता को लेकर दरार साफ दिखती नजर आ रही है.
पिछले कई दिनों से नजर आ रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व एक के बाद एक उत्तर प्रदेश में पर्यवेक्षक भेजकर राज्य में योगी को पीछे हटने के लिये संकेत दे रहा है. लेकिन योगी इन संकेतों की उपेक्षा कर रहे हैं.
अब पार्टी में यह सबको दिख रहा है कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है ऐसे में नारद मुनि के रूप में सुब्रह्मण्यम स्वामी सक्रिय हो गए हैं और खूब लगाई बुझाई कर रहे हैं. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एक ट्वीट के रिप्लाई में लिखा हैं, “मैं योगी को 1974 से जानता हूं. तब नानाजी देशमुख मुझे गोरखनाथ मंदिर के महंत और योगी के गुरु स्वामी अवैद्यनाथ से मिलाने ले गए थे. मैंने गोरखपुर में योगी के साथ सार्वजनिक सभाएं संबोधित की हैं. हम दिल्ली के नॉर्थ एवेन्यू में भी कई बार मिले. वे एक ईमानदार व्यक्ति हैं और वे कभी भी चापलूस नहीं हो सकते.”
ये चापलूसों को पसंद करने वाला ताना किसे मारा जा रहा है. सब समझ रहे हैं. बड़ी बात यह भी है कि वर्ष 2019 में भी मोदी ने ट्वीट कर योगी को बधाई दी थी. उन्होंने उस ट्वीट में कहा था कि “उत्तर प्रदेश के गतिशील मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी को उनके जन्मदिन पर बधाई. योगी जी ने उत्तर प्रदेश को बदलने में सराहनीय काम किया है. विशेषकर कृषि, उद्योग जैसे क्षेत्रों में और साथ ही कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाया है. मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं.”
उसके बाद जो साल 2020 में उन्होंने ट्वीट किया उसमें लिखा था कि ‘उत्तर प्रदेश के ऊर्जावान और मेहनती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई. उनके नेतृत्व में राज्य सभी क्षेत्रों में प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है.” पिछले साल अमित शाह का ऐसा ट्वीट ही सामने आया था तो आखिर 2021 में इस बार ऐसी बेरुखी क्यों दिखाई जा रही है? साफ है कि अंदरखाने में कुछ तो गड़बड़ हुई है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.