Lagatar Desk
आपको याद है सीरम इस्टीच्यूट ने जब कोविशील्ड बनाया, तब देश के प्रधानमंत्री ने इस पर गर्व किया था. हम भी गौरवान्वित हुए थे. पर यही वैक्सीन हमारे लिये ही महंगी क्यों है? केंद्र के लिये सस्ती व राज्य के लिये महंगी क्यों ? यही वैक्सीन दुनिया के दूसरे देशों मेंसस्ती क्यों ? अपने विचार हमें लिखें. हम उसे प्रकाशित करेंगे. अपने विचार पढ़ने के लिये कुछ देर बाद इसी पोस्ट को दुबारा खोलें…
यह खबर आपको कैसी लगी, हमें बताएं...
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Test3initiate
सरकार को अपने देश से ज्यादा दूसरे देश की चिंता है
क्या इस विषम परिस्थिति मे भी राजनीति ही रह गयी है।
ताकि मुफ्त अनाज बांटा जा सके
क्यों, कैसे इन सब से जनता ऊपर उठ चुकी है। मोदी सर ने जो किया सब को पता है…. एक साल में जो आपने बनाया उसको विदेशों में अपना नाम कमाने के लिए बेच दिया… अपने देश में बचा ही नहीं तोसस्ता कहा से मिलता, इस लिये तो 60साल-45साल-18 साल करते रहे… अभी तो सिर्फ महंगा हुआ है जिस दिन कालाबाजारी होने लगेगी उस दिन बहुत महंगा मिलने लगेगा। मोदी है तो मुमकिन है।
गजबे है
साहब को भषण देने से फुर्सत मिले तब ना
बहुत दुखद स्थिति है।असल में सरकार को जनता से नहीं सिर्फ सत्ता से मतलब है। गैर बीजेपी शासित प्रदेशों को तो मोदी सरकार ने भगवान भरोसे ही छोड़ दिया है।
एक देश एक रेट होना चाहिए सभी को 150 रुपए में मिलना चाहिए।अगर हो सके तो सभी को फ्री में ही देना चाहिए
पहले फ्री था,
अब चार्ज लगेगा राज्य को,
लेकिन जिस दर पर केंद्र सरकार को वैक्सीन मिल रही थी,
राज्यों को भी उसी दर पर मिलना चाहिए!
जब परिवार के लोग अपनो की मदद से ज्यादा दिलजस्पी पड़ोस की मदद में दिखा रहे है इस उम्मीद में कि अगर भविस्य में घर में कोई आपदा हो तोह उसमे मदद मिल सके तोह ऐसे में घर वर्तमान में घर के लोगों को कष्ट मिलना लाजिमी है…
भविष्य की योजना बनाने से उचित तोह वर्तमान की मुश्किलों को दूर करना है…
इसीलिए आपनो को पहले दवाई कम मूल्य पर उपलब्ध कराना है सही है इस समय के अनुसार…।
सीरम इंस्टिट्यूट का इस तरह का भेद भाव समझ से परे है।
वैक्सीन महंगी नहीं जान सस्ती हो गई है। वह भी गरीबों की। अमीरों के लिए तो वैक्सीन, ऑक्सीजन के साथ-साथ अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर सब सस्ते ही है। वैक्सीन की कीमत देश और राज्य देखकर नहीं बल्कि व्यक्ति की आय देखकर तय करना चाहिए था।
सर अब फेल होते दिख रही है। मैनेजमेंट पूरी तरह से फेल हो गया है। जनता ने खुद को कोसना शुरू कर दिया है। जनता के लिए, जनता के पैसों से बनाई गई वैक्सीन, जनता से ही पैसे वसूल कर देना सरकार की यह कैसी योजना है, अब तो पूछना ही पड़गा।
सरकार को पहले देश के लोगो के लिए सोचनी चाहिए ।
It happens only in india
मंदिर के लिए जब जनता सरकार चुनती है, तो दवा पर सरकार क्यों खर्च करें…देश का बंगाल चुनाव और झारखंड का मधुपुर चुनाव हो गया. अब कोरोना से लड़ाई हो रही है. राज्य सरकार हो या केंद्र इस आपदा के सभी दोषी हैं…
हर वेक्ति ये पूछ रहा ,की कोविड की सुई लेने के बाद भी लोग संक्रमित कैसे हो रहे हैं, पूछता है भारत,मोदी जी जबाब दीजिये
आपदा को अवसर में बदलने की शर्मनाक पहलू
मोदी सरकार को देश की जनता का जिंदगी से कोई सरोकार नहीं है उन्हें सिर्फ अपना नाम चमकाने से मतलब हैं।
देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति
जब केंद्र को 150/में मिल रहा है तो केंद्र ही पूरे देश के लिए खरीदकर राज्यों को दे और यदि आवश्यक हो तो राज्यों से 150/प्रति डोज राशि ले ले,आखिर केंद्र की जनता के प्रति जवाबदेही है कि नहीं…
देश के लिए दुर्भाग्य है, ब्यवस्था परिवर्तन की जरूरत है
चलो मान लिया की कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन बनाई गई मगर क्या मृत्यु दर के रोक पाई ..?
बड़े बुजुर्गो ने कहा है की जिस कोशिश का कोई परिणाम नहीं निकले उस कोशिश की गिनती नहीं की जाती
भारत के प्रधानमंत्री सिर्फ जनता को बेवकूफ बनाते हैं। यव भ्रातबकी बात करने वाले प्रधानमंत्री ने युवाओं को टीकाकरण में अपना पल्ला झाड़ लिया।
अब भी युवा नही जागे तो देश का विनाश तय है।
देश के लोग अब गरीब नहीं हैं इसलिए😊
क्योकि बीजेपी पुंजिपतियो की सरकार है। जब मोदी जी ने कहा था कि एक देश एक टैक्स तो ऐसा राजनीति क्यो, जो एक कोरोना महामारी से भारत डरे और सहमे हुये है। ऐसी कंपनी पर भारत सरकार को दबाब बनाना चाहिए।
ग्लोबल लीडर बनने की चाहत घातक है
सरकार को नरम होने की आवश्यकता है सरकार सभी लोगो को साथ लेकर चलें
फिर एक बार गरीबों पे वार
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सरकार को अपने देश से ज्यादा दूसरे देश की चिंता है
क्या इस विषम परिस्थिति मे भी राजनीति ही रह गयी है।
ताकि मुफ्त अनाज बांटा जा सके
क्यों, कैसे इन सब से जनता ऊपर उठ चुकी है। मोदी सर ने जो किया सब को पता है…. एक साल में जो आपने बनाया उसको विदेशों में अपना नाम कमाने के लिए बेच दिया… अपने देश में बचा ही नहीं तोसस्ता कहा से मिलता, इस लिये तो 60साल-45साल-18 साल करते रहे… अभी तो सिर्फ महंगा हुआ है जिस दिन कालाबाजारी होने लगेगी उस दिन बहुत महंगा मिलने लगेगा। मोदी है तो मुमकिन है।
गजबे है
साहब को भषण देने से फुर्सत मिले तब ना
बहुत दुखद स्थिति है।असल में सरकार को जनता से नहीं सिर्फ सत्ता से मतलब है। गैर बीजेपी शासित प्रदेशों को तो मोदी सरकार ने भगवान भरोसे ही छोड़ दिया है।
एक देश एक रेट होना चाहिए सभी को 150 रुपए में मिलना चाहिए।अगर हो सके तो सभी को फ्री में ही देना चाहिए
पहले फ्री था,
अब चार्ज लगेगा राज्य को,
लेकिन जिस दर पर केंद्र सरकार को वैक्सीन मिल रही थी,
राज्यों को भी उसी दर पर मिलना चाहिए!
जब परिवार के लोग अपनो की मदद से ज्यादा दिलजस्पी पड़ोस की मदद में दिखा रहे है इस उम्मीद में कि अगर भविस्य में घर में कोई आपदा हो तोह उसमे मदद मिल सके तोह ऐसे में घर वर्तमान में घर के लोगों को कष्ट मिलना लाजिमी है…
भविष्य की योजना बनाने से उचित तोह वर्तमान की मुश्किलों को दूर करना है…
इसीलिए आपनो को पहले दवाई कम मूल्य पर उपलब्ध कराना है सही है इस समय के अनुसार…।
सीरम इंस्टिट्यूट का इस तरह का भेद भाव समझ से परे है।
वैक्सीन महंगी नहीं जान सस्ती हो गई है। वह भी गरीबों की। अमीरों के लिए तो वैक्सीन, ऑक्सीजन के साथ-साथ अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर सब सस्ते ही है। वैक्सीन की कीमत देश और राज्य देखकर नहीं बल्कि व्यक्ति की आय देखकर तय करना चाहिए था।
सर अब फेल होते दिख रही है। मैनेजमेंट पूरी तरह से फेल हो गया है। जनता ने खुद को कोसना शुरू कर दिया है। जनता के लिए, जनता के पैसों से बनाई गई वैक्सीन, जनता से ही पैसे वसूल कर देना सरकार की यह कैसी योजना है, अब तो पूछना ही पड़गा।
सरकार को पहले देश के लोगो के लिए सोचनी चाहिए ।
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मंदिर के लिए जब जनता सरकार चुनती है, तो दवा पर सरकार क्यों खर्च करें…देश का बंगाल चुनाव और झारखंड का मधुपुर चुनाव हो गया. अब कोरोना से लड़ाई हो रही है. राज्य सरकार हो या केंद्र इस आपदा के सभी दोषी हैं…
हर वेक्ति ये पूछ रहा ,की कोविड की सुई लेने के बाद भी लोग संक्रमित कैसे हो रहे हैं, पूछता है भारत,मोदी जी जबाब दीजिये
आपदा को अवसर में बदलने की शर्मनाक पहलू
मोदी सरकार को देश की जनता का जिंदगी से कोई सरोकार नहीं है उन्हें सिर्फ अपना नाम चमकाने से मतलब हैं।
देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति
जब केंद्र को 150/में मिल रहा है तो केंद्र ही पूरे देश के लिए खरीदकर राज्यों को दे और यदि आवश्यक हो तो राज्यों से 150/प्रति डोज राशि ले ले,आखिर केंद्र की जनता के प्रति जवाबदेही है कि नहीं…
देश के लिए दुर्भाग्य है, ब्यवस्था परिवर्तन की जरूरत है
चलो मान लिया की कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन बनाई गई मगर क्या मृत्यु दर के रोक पाई ..?
बड़े बुजुर्गो ने कहा है की जिस कोशिश का कोई परिणाम नहीं निकले उस कोशिश की गिनती नहीं की जाती
भारत के प्रधानमंत्री सिर्फ जनता को बेवकूफ बनाते हैं। यव भ्रातबकी बात करने वाले प्रधानमंत्री ने युवाओं को टीकाकरण में अपना पल्ला झाड़ लिया।
अब भी युवा नही जागे तो देश का विनाश तय है।
देश के लोग अब गरीब नहीं हैं इसलिए😊
क्योकि बीजेपी पुंजिपतियो की सरकार है। जब मोदी जी ने कहा था कि एक देश एक टैक्स तो ऐसा राजनीति क्यो, जो एक कोरोना महामारी से भारत डरे और सहमे हुये है। ऐसी कंपनी पर भारत सरकार को दबाब बनाना चाहिए।
ग्लोबल लीडर बनने की चाहत घातक है
सरकार को नरम होने की आवश्यकता है सरकार सभी लोगो को साथ लेकर चलें
फिर एक बार गरीबों पे वार